च छ ज झ ञ
च
- च- है
- चंक- सतर्क, चटक, चतुर
- चंख-सतर्क, चटक, चतुर
- चंगुल- पकड़, जाल
- चंट-सतर्क, चटक, चतुर
- चंड- तेज, गुस्सैल
- चंडाल- दुष्ट, बुरा
- चंडी- रोष, दुर्गा
- चंदरौळी- बच्चों का गले का हार
- चकचिमैडु- चमगादड़
- चकच्याट- छिछोरापन, अश्लील मजाक
- चकच्याणु- ललचाना, चकित होना
- चकड़ेत-छिछोरा, लफंगा, चालबाज
- चकदक- अचंभित, सजाधजा
- चकन्याट-छिछोरापन, अश्लील मजाक
- चकाचूर- बहुत अधिक
- चक्कर- फेर, सिर घूमाना
- चक्खी- स्वाद, आदत, लत
- चक्रचाल- नाश, बरबाद, अस्त-व्यस्त
- चखळ- पखळ- चहल-पहल, धूमधाम
- चखुलि- पक्षी, पंछी, चिड़िया
- चखुलु-पक्षी, पंछी, चिड़िया
- चखौण- चखाना, बदला लेना
- चगता- शरीर पर चोट के नीले निशान
- चचकार- बहुत ठंडा, कड़क ठंड
- चचकौण- उतेजित करना, धमकाना, सर्तक करना
- चचड़ाट- तीव्र पीड़ा
- चचराट- बकवास करना, बहस करना
- चचलाट- सिहरन, कंपन
- चचलाण- विचलित होना, घबराना
- चचा- चाचा
- चचि- चाची
- चटक- तेज, फुर्तिला, चटकीला
- चटकरा- चाव से खाना
- चटकौण- चट कर जाना, पूरा खा जाना
- चटगणि- चटकनी, कुंडी
- चटाक- तेज धूप, बेंत की मार, थप्पड़, चपत
- चटुण- चाटना
- चटै- चटाई
- चटोरा- चटोरा, लालची जिह्वा- लोलुप
- चट्ट- तुरंत,एकदम, अविलंब
- चट्टा- ढेर
- चट्टी-यात्रा मार्ग के पड़ाव, रात्रि विश्राम की जगह
- चट्टेलिक- बिना किसी हिचक के
- चड़कणु- पेड़ का टूटना, बर्तन टूटना
- चड़कताळि- नस दबना, तेज दर्द, पीड़ा होना
- चड़का-तेज दर्द, पीड़ा होना
- चड़कौणु- डंक मारना, डसना
- चड़चडु- खुब गरम, खौलता हुआ, तेज सूर्य का तीव्र टॉप, चिड़चिड़ा
- चड़चणु- खौलता पानी
- चड़बल्यूं- चढ़े हुए दिमाग का, घमंडी, बुरी व बिगड़ी आदतों वाला
- चड़वाळ्यूं- मुंहलगा, नटखट
- चड़ाक- नस दबना, तेज दर्द, पीड़ होना
- चड़ियाळि- शेखी
- चड़ियाळी- बढचढकर की गई बातें, डींग
- चड़ोट-चढावा, भेंट
- चढक- बज्रपात
- चढबटियूं- चढे हुए दिमाग का, धमण्डी, बुरी व विगड़ी आदतों वाला
- चढयूं- उदंड, घमंडी
- चणचणी- अनमनापन, किसी काम में मन ना लगना, उकताहट प्रतीत करना, फुंसी से होने वाला दर्दे
- चणा- चना, चने
- चणाक- क्षणिक उत्तेजना, सटाक, गुस्सा
- चपरटया- झूठ बोलना, छिपना, झूठा
- चपरणु-झूठ बोलना, छिपना, झूठा
- चपोड़- गप्पें, बकवास, दिखावा
- चपोड़न- घी लगाना, खुशामद करना
- चपोड्या-खुशामदी
- चबच्योणु- धीरे धीरे चबाना, जुगाली करना
- चबळाट- उतावलापन, अस्थिरता
- चबळायूं-उतावला,अस्थिर
- चबौणु- चबाना
- चमकण- चमकना, दमकना
- चमकताळ- तेज रोशनी, अचानक चमक
- चमक्याळि- फुर्तिला, जोशीला
- चमचमाक- तुरंत, एकदम, अविलंब
- चमला- त्वचा रोग, खुजली, भागमभाग, उतावलापन, अस्थिरता
- चमलौण-धीरे धीरे चबाना, जुगाली करना
- चमार-चर्मकार, चमड़े का कार्य करने वाली एक जाति व इस जाति का व्यकती
- चम्म- एकदम, तुंरत, अविलंब
- चरकफरक- सूझबूझ, चतुराई
- चरचारि- चटपटा, स्वादिष्ट, तेज
- चरचरु- चटपटा, स्वादिष्ट, तेज
- चरमांत- चरगाह, गौचर
- चरा- बेहोशी, मूर्छा
- चलकण-चमकना, दमकना
- चलखड़ु- चकोर
- चलण- प्रथा, रिति-रिवाज, प्रचलन
- चलणपात- कारोबार, कामधाम
- चल्याण- छननी, छनना, छानना
- चल्लाक-चालाक, चतुर
- चळचुळु- चिकना,चमकीला
- चळमुळु- बसायुक्त स्वादिष्ट पदार्थ का स्वाद
- चळुणु- छननी. छनना, छानना
- चळवा- लालची, जिह्वा- लोलप
- चसक- पीड़ा, दर्दे ,दर्द होना
- चसाक- नस दबना, दर्द उठना
- चस्स-हल्की चुभन, धीरे से चुभाना
- चहल- कुंड, तलाब
- चचड़ाट- (शरीर के किसी भाग में अचानक होने वाली तीव्र पीड़ा)
- चर्बि, बंवाळि-चर्बी
- चखुलो, पोथलो (पु०)- चिड़िया
- चखुलि, पोथलि (स्त्री०)
- चकदक, झसकणु-अचंभित
- चड़क- (पीड़ा की लहर)
- चणचणी- (फोड़े के सूजने पर होने वाली पीड़ा)
- चमराट/चिरी- (कटे या जले स्थान पर होने वाली जलन)
- चमळाट- (शरीर के फोड़े वाले स्थान पर होने वाली हल्की मीठी खुजली)
- चसक/चड़क- (शरीर के किसी अंग में रह-रह कर होने वाली पीड़ा)
- चळकण- (चौंकने की स्थिति)
- चचड़ाट- (पेड़ या पेड़ की शाखा के टूटने से उत्पन्न ध्वनि)
- चचराट- (तेजी से तीखा बोलने की आवाज)
- चटकताळ- (थप्पड़ अथवा बेंत के प्रहार से उत्पन्न ध्वनि)
- चटाक- ('चटकताळ' में लम्बे समय का बोध होता है जबकि 'चटाक' में ध्वनि कम अंतराल की होती है)
- चचकार, चचगार -कड़क ठंडा
- चरेटो- (बकरियों को नमक आदि देने के लिए बना काष्ठ पात्र)
- चळ्ये-खो गए
- चहा -चाय
- चमच-चमच
- चली जई-चले जाना
- चमताव - जोर का थप्पड़
- चण-गूड= चने और गुड
- चमकी-चमकना
- चकदक, झसकणु -अचंभित
- चबळाट, चमलाट-अस्थिरता
- चडचडु- खुब गरम, खोलता हुआ, तेज सूर्य का तीव्र टॉप, चिड़चिड़ा
- चन्दोया = वितान
- चकचिमैडु = चमगादड़
- चकना/चकंदर = छिछोरा , अश्लील हंसी करने वाला
- चकन्वाति = छिछोरापन, हल्की हंसी
- चग्टा/चकता = शारीर पर चोट आदि के निशान
- चटपट्याल़ू =फुर्तीला, क्रियाशील
- चड्ला= मूर्छा.बेहोशी के दौरे
- चढ़गट्युअं = बदमिजाज, चढ़े दिमाग का
- चणक -क्षणिक उत्तेजना
- चणकणु =उत्तेजित होना
- चन्नार =पूर्वाभास, चेष्टाओं से पूर्वाभास होना
- चरखदु =सतर्क
- चळका = मुतणि अत्यंत भयभीत होने की दशा
- चलणपात =काम धंधा, हाल छाल . कारोबार
- चलुणिया =सेवक,
- चड़वाळ्यूं- मुंहलगा, नटखट
- चा
- चा-चाय
- चाल -आकाशीय बिजली
- चाळ -छानना
- चांट- रंजिश रखना, बदले की भावना
- चांठ- चट्टान, जंगली गुफा
- चांदु- चाहिए
- चाउड़- चावल
- चाकरी- नौकर, सेवक, नौकरी
- चाट- देखने की इच्छा, उत्कंठा
- चाड़- जरूरत होना, गरज होना
- चाड़ा- हांका, मचान
- चाम- चर्म, त्वाचा
- चारणु- सीचना, पानी देना
- चाल- तरीका, रंगढंग, आकाशीय बिजली
- चाली- चालबाजी, बदमाशी
- चालु-चालबाज, शातिर
- चाळा- बाहनेबाजी, लुकाछुपी, धोखा
- चाकाव-फैला हुवा - खेत आदि
- चाखू- (चस्का)
- चाचरी =बिखेरना
- चाड़ा =ढलान , चट्टान
- चाफरा /चाफरु =बड़ा टुकडा
- चिंग- झल्लान, झल्लाहट
- चिंचोड़न- नाखून मारना, नोकिला चीज से निशान पड़ना
- चिंचोड़ा-नाखून मारने के निशान
- चिंवाड़ा- झुरियां, सिकुड़न
- चिड़चिडु- चिड़चिड़ा, सनकी
- चिड़ौ-अजगर
- चिड़ौण- हींग, जीरा अदि का छौंक
- चिणै- चिनाई
- चिताणु-समझना, सचेत करना
- चित्त- मन, मनोदशा, हराना
- चिनकी- बकरी का बच्चा
- चिपटण- चिपकाना, चिपटना
- चिपटणु- चिपकना
- चिफळण- चिकना, फिसलना, फिसलन
- चिफळट-चिकना, फिसलना, फिसलन
- चिफळु-चिकना, जो भरोसेमंद न हो
- चिमड़ा- बर्र, ततैया
- चिरखा- पुरखा- कट-फट, टुकड़े-टुकड़े करना
- चिरखु- कपड़े का टुकड़ा
- चिरड़- चिढना, नारज होना, चिढ
- चिरफाड़ी- फाड़कर, फाड़ना, चीरना
- चिरीं- फटी हुई
- चिरोड़ा- खरोंच
- चिर्यूं- फटा हुआ
- चिलसणु-क्रोधित होना
- चिलांग- चील
- चिळौ- गेहूं का भूसा
- चिमच-चमच्च
- चिबड़ाट- (गर्म तेल में पानी की बूंदें पड़ने पर उत्पन्न ध्वनि)
- चितैन-महसूश होना
- चिठू-पत्र
- चिरखु-कपड़े का टुकड़ा
- चिताणु, चितौणु-अहसास करना
- चिड़ंग- (झल्लाहट)
- चिरड़- (नाराजगी)
- चियूट - बिना हल चलाया हुवा खेत
- चिलम- (तंबाकू पीने की काष्ठ नली)
- चिलसणु-आक्रोशित
- चिंग = क्रोधित होने की आदत
- चिंडू =परोठी
- चिंडळ =चिंथड़ा
- चिंदरिया =जूतों वाला
- चिड़ो =अजगर
- चिमरताण्या = दुबला पतला
- चिल्सणु =क्रोधित होना
- चिसकौण =जलाना
- चिलान्खी =पेड या पर्वत का सर्वोच्च शिखर, शिखर
- चींच्याट- पक्षियों की चहचाहट, कलरव
- चीप- थोप, थोपना, जबरन सौंपना
- चीरा- चीरा, कटा हुआ, घाव
- चीरि- दर्दे, कटे की पीड़ा, जलन
- चुऊ -पुरुषों के सर की चोटी
- चुल्लो-चूल्हा
- चुंगण- कंजूस, कृपण
- चुंट-चोटी, शीर्ष, शिखर
- चुंडण- चिकोटी काटना, चिकोटी
- चुकपट्ट- अंधकर, विस्मृति, भूल जाना
- चुगटा- ऊन का मोटा कम्बल, किसी बिखरे काम को समेटकर व्यवस्थित करना, अधिपत्य
- चुटांण- फेंकना,
- चुटायूं-फेंक हुआ
- चुनमुंडु- झंगोरे का मांड
- चुनार- काष्ठकार
- चुनाली- मंडुवे की रोटी
- चुफला-चोटी, चुटिया, शिखा
- चुफलि-चोटी, चुटिया, शिखा
- चुप्फा-चोटी, चुटिया, शिखा
- चुलखुण्डो- चुल्हे के पास का स्थान
- चुलि- कि अपेक्षा, के वनिस्पत
- चुल्खान्दु- चूल्हे की दोनों दिवारों की बीच की वह जगह जहां आग लगती है
- चुल्यौण-फेंक हुआ,फेंकना
- चुल्लु- चूल्हा
- चुल्वड़- चूल्हा
- चुसण- चूसना
- चुसाणु- चुसाना
- चूंच्याट- पक्षियों की चहचाहट, कलरव
- चूणु- टपकना, चूना
- चून- कोद या मांडूवा का आटा
- चूरबूर- बारीक पिसा चूर्ण,चूर्ण
- चूरा- बरीक पिसा चूर्ण ,चूर्ण
- चेमी-बीन्स
- चेटक- भूत, पिशाच, टोना- टोटका
- चेत- होश समझ
- चेपु- पलकें
- चेवड़ा- चबेना
- चैंणा- चना,चने
- चैंणु, चैंदु- चाहिए
- चोपडी-चिपचिपी मिटटी
- चोखू (नवनीत)
- चोखु- शुद्धा, असली, स्पष्ट
- चोट्टा- दुष्ट,बदमाश, लंपट
- चोन्न- छिलाई, छीलना
- चोपड़-घी, मक्खन चुपड़ा हुआ
- चोपड़न-घी, मक्खन चुपड़ना
- चोरि- चोरी
- चोरू- संदेह, शंका
- चोलण- छिलाई, छीलना
- चोळा- शरीर, चोगा, लबादा
- चोन्न- छिलाई, छीलना
- चोमक्या= कम पानी का स्रोत्र
- चोमा -सपोड़ण , सुडकना
- चौका/तिछिला- (रिंगाल की बनी चटाई)
- चौंकण-चौंक जाना, डर कर उछलना
- चौंठ- ठुड्डा, ठुड्डी
- चौंतार- चमत्कार
- चौंफळा- समूह नृत्य शैली
- चौंफाळ- लंबी छलांग
- चौंर्य- सब में होशियार बनने वाला
- चौंळ- चावल
- चौंळा- नखरे
- चौक- आंगन, आहता
- चौकला- बैठने की तख्ती
- चौकलि- बैठने की तख्ती
- चौकि-बैठने की तख्ती
- चौखंबा- पौड़ी गढवाल में एक पर्वत
- चौतरू- चबूतरा, आंगन, चारों ओर
- चौतर्फ-चारों ओर
- चौदिसों-चारों ओर
- चौबाटा- चैराहा, चार रास्ते
- चौमासा- ऋतुमास, वर्षा ऋतु
- चौरंगी- अपंग, अपाहिज, अक्षम
- चौरासि- भयानक विपत्ति, महासंकट
- चौंळआ =नखरे
- चौणदु =पहाड़ी धर के ऊपर का चय्रस स्थान
- चौभांण = बिलकुल खुला हुआ
- चौरासी बीती = दारूण कष्ट सम्वत चौरासी (सन सत्ताईस में ) गढ़वाल में घोर बिप्पती पड़ी थी.)
- चौसेरू = चार लड़ियों वाला चन्द्रहार
- चौसेरू = चार लड़ियों वाला चन्द्रहार
- चौसेरू = चार लड़ियों वाला चन्द्रहार
- च्वैलि-छीलकर
- च्वीला- (हल पर लगाने के काम आने वाले लकड़ी के छोटे टुकड़े)
- च्युंच्याट- (चहचहाहट)
- च्वींच्याट- (दरवाजे या चारपाई के हिलने पर उत्पन्न ध्वनि)
- च्यूं- मशरूम, कुकरमुत्ता
- च्यूड़ा- चबेना
- च्यूड़ा-चिवड़ा, हरे धान को भून कर तथा कूट कर बना हुआ चिपटा चबेना
- च्वण- टपकना ,चूना
- च्वरण- चोरना, चुराना
- च्वाला- शरीर, चोग, लबादा
- च्यूंरा = झुर्री , शिकन
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