ष स ह क्ष त्र ज्ञ श्रः
- स
- § ससराट/सिंस्याट- (हवा की सरसराहट)
- § समूण, सैंदाण-सौगात
- § सवाल-प्रश्न
- § समळौण-स्मृति चिह्न
- § सबळाट- (जूँ के सिर या शरीर पर रेंगने से होने वाली सरसराहट)
- § सिमणाट- (जुकाम के कारण नाक बंद होने पर साँस लेते समय नाक से उत्पन्न ध्वनि)
- § सरसु -खटमल
- § सगोड़ा -आँगन की क्यारियाँ
- § सटकण - निकल भागना ,बचकर चले जाना
- § सफ्याद - सफ़ेद
- § समूण-निशानी
- § समसाण (मडघाट)-समसान घाट
- § सरासर - जल्दी -२
- § सज्योली - आराम २
- § सरसु -खटमल
- § सदानी -हमेशा
- § सत्याडी सार -धान वाले खेतों का समूह
- § सगंढ-विशाल
- § सटबट- हेरा-फेरी,इधर की वस्तु उधर
- § समणि - नजदीक ,पास
- § समलोण्या- यादगार चिह्न
- § सर्ग- आकाश
- § सजोळी/हतकंडी/बिजोंडु- (रिंगाल की हथकंडी जो प्राय: खेतों में बीज ले जाने के काम आती है)
- § सगळो =पूरा/समूचा
- § सगाती = सगोत्री
- § सतरौण =व्यवस्थित करना
- § समसूत= रात्री का सन्नाटा
- § सळकि =डींग
- सा
- § साबण-साबुन
- § साळ, छानि-गोशाला
- § सांगळ -तिलचट्टे ,झिंगुर
- § साबुलू- सबल
- § साझ पन - शाम का समय
- § सागुंन - सकरा भाग
- § सारी-खेतों का सनुह (सार )
- § साणा-पानी से भरे खेतों मैं जुताई करना
- § सारा-स्वस्थ, गिरीदार
- सी
- § सी जाण - सो जाना
- § सीखा-पढ़ो
- सि
- § सिलौण -सिलवाना
- § सिळौण-विसर्जित करना
- § सिमार - दल दल वाली भूमि
- § सियोनी - मांग (सिर का)
- § सिरड़, मग्जे, कुरोध,पिल्थि-गुस्सा , चिढ
- § सिपै - जवान ,सिपाही ,सैनिक
- § सिलोटो- (सिलबट्टा, सिल, मसाला आदि पीसने का पत्थर)
- § सिंगताळ = दो सींगो के बीच का भाग , माथा
- § सिनक्वाळ = अन्धेरा होने से पूर्व
- सु
- § सुबड़ाट- (किसी तरल पदार्थ के बड़े-बड़े घूँट लेते हुए निकलने वाली सुड़-सुड़ की आवाज़)
- § सुलार -पायजामा
- § सुबेरयुं-सुबह
- § सुबेर-सुबह
- § सुप्पा (सूप)
- § सुद्धि -व्यर्थ में , यूँ ही , ऐसे ही
- § सुप्पो- (रिंगाल का सूप)
- § सुळेटो- (घास का बोझा ले जाने के काम आने वाली लकड़ी जिसका एक सिरा नुकीला होता है)
- § सुणण -सुनना
- § सुकरौड़ =एकदम सुखा पड़ना
- § सुरता = इच्छा, आकांक्षा
- § सुराळि =रिश्ता, नाता
- § सुळया =कामुक
- सू
- § सूरज- सूरज
- से
- § सेरा-सिंचित किर्शी वाले खेत
- § सेरा -सिंचित भूमि
- § सेळी- (दर्द की तीव्रता में आने वाली कमी)
- § सेणू छ-सो रहा है
- § सेलु-सोयेगा
- § सेगि-सो गया
- § सेण-सोना
- सै
- § सैणी-समतल
- § सैरि-फैल
- § सैरा- सारा
- सो
- § सोल्टी/चंगेरी- (छिद्र वाली रिंगाल की कंडी)
- § सोत, मुंड्याळ-उदगम
- सौ
- § सौरसी - ससुराल वाले
- सं
- § संगाड-दो द्वार -शाखाएं
- § संगळ -जंजीर ,दरवाज बंद करने की जंजीर
- § संजेडु - गोबर का ढेर
- § संटवारु-वास्तु विनियम ,दो वस्तुओं कि एक दूसरे से अदला बदली
- § संतेण- घाव का भरना
- § संगाड़- (पत्थर की चौखट)
- § सिंग -सींग
- § संगेठण =समेटना
- § संदौण =छोटे बच्चों को तेल मालिश कर गरम हाथों से सेकना
- § संतेण = घाव भरना
- § संवार = सामने
- § सांवा = कर्ज के रूप में दी गयी राशी
- § सेंजडि =हमउम्र
- सः
- स्
- § स्यारा - सिंचित भूमि
- § स्येटिगि- पतली डंडी ,बेंत
- § स्वट्टि-पतली लचीली छड़ी ,लठ्ठी या सोंटी
- § स्योंस्योय भ्यूंस्योय-जल्दबाजी में काम करना
- § स्यम्लू-दलदल वाले खेत
- § स्यूं-खेतों की जुटी के समय बनती हुई अस्थायी नालियाँ
- § स्या (वह)
- § स्वाल-द्वाल-उत्तर-प्रत्युत्तर
- § स्यमता =ऐसी इच्छा जो पूरी होना कठिन हो
- § स्क्यावान = शक्तिशाली
0 Comments