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- अनियार - अँधेरा
- अगास, सरग-आसमान
- अकुल्याट-ओछापन , क्षुद्र व्यहार
- अगास , सरग,द्यो-अंतरिक्ष
- अजिद्या-और मांगना मंजिल
- अकुल्याट-ओछापन , क्षुद्र व्यहार
- अंग्वाळ, भेंटण-आलिंगन करना
- अळगस -आलस्य
- अकाजु ,गळतु,जंगजुंगु,जंगजंगि-आलसी
- अजब्याळि, आजकाळ,अजगाल -आजकल
- आटु,पिस्युआटा
- अजब्याळि, आजकाळ,अजगाल -आजकल
- अजमत -आश्चर्यजनक
- अजमत -आश्चर्यजनक
- अगास ,सरग, द्यौ-आसमान
- अमोखो- (घुटन, दम घुटने की स्तिथि)
- अड़ाट- (भयभीत पशुओं की चिल्लाहट)
- अखळौण--वर्तन में पानी डालकर साफ़ करना
- अस्यो- पस्यौ- पसीना -पसीना
- अम्यार्त-कद्दू
- अकल-अक्ल
- अखरमासै -अति प्रशस्त
- अजाण, अपछयाण-अपरिचित
- अखोड़-अख़रोट
- अग्वानया-अग्रणी
- अजमत -अचरज
- अच्येत-अचेत
- असगुन , अशकुन -अपशगुन
- अनपढ़ , गंवार -अशिक्षित
- अम्लाण-अम्लीयता
- अन्न - नाज -अनाज
- अफ्ड़ी-अपनी
- अच्येत -अज्ञान
- अजाण-अज्ञानी
- अखरमासै -अति प्रशस्त
- अटकण, अटकणु-अटकना
- अबार-अभी
- अफुक-ब्य्कतिगत,अपने लिए
- अछोदो -बरामदा
- अबेर = देर
- अस्वाणु-कुरूप
- अमेथ, अमैर्त-कद्दू
- अखोलां -गोपनीया स्थान
- अणकुलु,ऐण-गाय या भैंस का थन
- अस्वाण--ईर्ष्या
- अमलाण-खट्ट्पन
- असवांण्या -ईष्यालु
- अग्नै-आगे
- अफसैंट, गैर हाजिर -अनुपस्थित
- अगवड़ि-आगे
- अग्वानया-अग्रणी
- अच्छेण-अस्त होना
- अणव्यो-अविवाहित
- अणबिवई-अविवाहित कन्या
- अफि-अपने आप
- अफसैंट, गैर हाजिर -अनुपस्थित-
- अंताज, अंदाज -अनुमान
- अजाण, अपछयाण-अपरिचित
- असगुन , अशकुन -अपशगुन
- अफि-अपने आप
- अच्येत -अज्ञान
- अच्येत-अचेत
- अखोड़-अख़रोट
- अजमत -अचरज
- अजाण-अज्ञानी
- अटकण, अटकणु-अटकना
- अगास , सरग,द्यो-अंतरिक्ष ,आसमान
- अम्लाण-अम्लीयता
- अजमत -आश्चर्यजनक
- अकल-अक्ल
- ओँळा-आंवला
- अगास , सरग, द्यो-आकाश
- असजिलो -असुविधाजनक
- अन्तर्जामी - अन्तर्यामी
- अत्यासार- अतिसार, पेचिस
- अछलेण-आच्छादित होना
- अजब्याळि, आजकाळ,अजगाल -आजकल
- अनपढ़ , गंवार -अशिक्षित
- अणव्यो-अविवाहित
- अणबिवई-अविवाहित कन्या
- अन्देसु- अन्देशा
- अकबुकेणु- अकबकान, हक्कबक्का होना
- अरण्ड- अक्खड
- अक्कल- अक्ल,
- अक्कल्बर- अक्लमन्द
- अथक (होन)- थक कर चूर होना
- अक्कलजाड- अक्लडाढ
- अधेलु- अधेला, आधा पैसा
- अधबुडेड- प्रोढ
- अभागी- अभागा
- असजिलो असुविधाजनक
- अच्छेण-अस्त होना
- अभलाखा- अभिलाषा
- अल्प्या (ग्रहो को)- अल्प यानि कम्जोर ग्रहो वल
- अमरूत- अमरूद
- अमीन- भू राजस्व एकत्र करने वल कर्म्चरि
- अमल- एसिड, मादक द्र्व्य खास कर तम्बाकु
- अर्क- अर्क (उर्दु का शब्द)
- अरिस्ट- रिष्ट, सकट
- अगल्नु- अर्गला (कुन्डी) लगाना
- अबाट- गलत रास्ता
- अल्जाट- रुकावट
- अलझणु- उलझना
- अलजौणु - उलझा देना
- अन्ध्यागोर- घोर अन्धेरा
- अन्गरेणो- अन्कुरित होना
- अन्गरा- अन्कुर
- अन्गरेणो- झुरझरी आना (गात अन्गरेणु)
- अण्देख्यु- अनदेखा/जो पहले न देखा हो
- अईन्च- ऊपर
- अख्ल्यार- बारी
- अवाण्या- जो गथ की दाल न खाता हो
- अठालु- भीमल /भ्युल की छाल जिसे साबुन की तरह प्रयोग किया जाता है
- अमानी- पूजा के अवसर पर ब्राह्म्णो को दान दिया जाने वाली साम्ग्री जिसमे दाल, चावल आदि
- अपडी/अपणी- अपना/ अपनी
- अण्थी- अन्यत्र
- अकरू- अखरने वाला अर्थात मह्न्गा
- अमेर्तु- अमरित फल/ सीताफ्ल
- अन्येयी- अन्यायी, अन्याय करने वाला
- अन्दराणी- फटी पुरानी
- अल्ख्ण- शरारत
- अल्ख्णी- शरारती
- अड्मारा- जहा फेकी/रखी वस्तु आसानी से ना मिले
- अजि/अजौ - अभी तक
- अग्णाणु- पसन्द करना
- अगेट्णु- समेट्ना/ हथिया लेना
- अल्वाडु- आलु का खेत
- अल्याचार- लाचार
- अखरण-खलना
- अफि-ख़ुद
- अबाट- गलत रास्ता
- अल्जाट- रुकावट
- अलझणु- उलझना
- अलजौणु - उलझा देना
- अन्ध्यागोर- घोर अन्धेरा
- अन्गरेणो- अन्कुरित होना
- अन्गरा- अन्कुर
- अन्गरेणो- झुरझरी आना (गात अन्गरेणु)
- अण्देख्यु- अनदेखा/जो पहले न देखा हो
- अईन्च- ऊपर
- अख्ल्यार- बारी
- अवाण्या- जो गथ की दाल न खाता हो
- अठालु- भीमल /भ्युल की छाल जिसे साबुन की तरह प्रयोग किया जाता है
- अमानी- पूजा के अवसर पर ब्राह्म्णो को दान दिया जाने वाली साम्ग्री जिसमे दाल, चावल आदि
- अपडी/अपणी- अपना/ अपनी
- अण्थी- अन्यत्र
- अकरू- अखरने वाला अर्थात मह्न्गा
- अमेर्तु- अमरित फल/ सीताफ्ल
- अन्येयी- अन्यायी, अन्याय करने वाला
- अन्दराणी- फटी पुरानी
- अल्ख्ण- शरारत
- अल्ख्णी- शरारती
- अड्मारा- जहा फेकी/रखी वस्तु आसानी से ना मिले
- अजि/अजौ - अभी तक
- अग्णाणु- पसन्द करना
- अगेट्णु- समेट्ना/ हथिया लेना
- अल्वाडु- आलु का खेत
- अल्याचार- लाचार
- अमिथ्या- १. सफेद झूट २. अनहोनी
- अकाजु ,गळतु,जंगजुंगु,जंगजंगि-आलसी
- अळगस -आलस्य
- अछाणो- (धारदार हथियार से किसी वस्तु को काटने के आधार की लकड़ी)
- अटाळी- (लकड़ी का छोटा-सा टुकड़ा जो भीमल के रेशों की रस्सी बटने के लिए प्रयुक्त होता है)
- अड्या- (गोशाला का दरवाजा बंद करने के काम आने वाली लकड़ी)
- अणौ- (हल का हत्था)
- अदाळो- (घिसा हुआ हल)
- अवांण/ठांकरो- (बेल को सहारा देने के काम आने वाली लकड़ी)
- अपणू -अपना
- अलखणि /उलखणि = विचित्र , अनोखा, अजीव
- अल्डो/अल्डु = ठन्डा
- अचाण्चक/ चाण्चक= अचानक
- अछ्लेगी= अस्त हो गया
- अछ्लेणु= अस्त होना
- अजाक=नासमझ
- अन्ग्ल्यार- बर्र या ततैया
- अठ्वाड- बलि देने के लिए आयोजित उत्सव
- अन्ग्योणु- अपनाना
- अलोणु-बिना नमक का
- अभरोसु- अविश्वास
- अन्ग्वाल- अन्कमाल/ आलिग्न
- अलसिगे- मुर्झा गया/गइ
- आछरी- अप्सरा
- अल्याचार- लाचार
- अफु/अफ्वी- अपने आप
- अन्वार/अन्द्वार- सूरत
- अबेर- असमय/ देर
- अजाण- अनजाना
- अप्छाण्यु- अपरिचित
- असक्दी- असक्त/ गर्भ्वती स्त्री
- अखोड- अखरोट
- अडेथणू- किसी व्यक्ति / स्त्री को गन्त्व्य तक पहुचाने के लिए साथ जाना
- अडेथदारो- साथ जाने वाला
- अधखेचरू - अधकचरा/ अपरिपक्व
- अगेती- पहले/ फसल विशेस मे जो पहले पके- जैसे अगेते साटी/ अगेती कौणी
- अडी/ अड- जिद्द या अड्ना
- अन्तौ- अधैर्य
- अधीर्ज- अधीर
- अण्ब्य्वायी - अविवाहित
- अण्ब्यो- बिना विवाह किये
- अचैन्दु- जो चाहा न गया हो/ आइछित्त
- अफखौ- जो सिर्फ अपने खाने की इछ्छा रख्ता हो
- अलबला सलबल- आनन फानन मे
- अन्दयारू- अन्धेरा
- अन्ताज- अन्दाज
- अक्ड्नु- समाना या एड्ज्स्ट होना
- औ बटौ- राह चल्ती/ कुलहीन
- अयेडी- जिद
- अडाट- भैस आदि का रम्भाना
- अडाट- भिडाट= चीख पुकार
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